Wednesday, June 12, 2024

Reshma bhabhi dost ki waife sex story

 

रेशमा भाभी की हसरत पूरी हो गई एक रात में ही

Dost ki Waife Sex Story, Dost ko biwi Sex kahani, कई बार कोई बात मन में दबी होती है और जब वो पूरा हो जाये तब एक अलग ही ख़ुशी होती है। जैसा की मैंने रेशमा भाभी को खुश देखकर मुझे लगा की भाभी चाहती थी उनको मैं उनके साथ सोऊँ एक रात के लिए और वो अपने जिस्म की आग को बुझाये मेरे लंड से और मेरे प्यार से और उनकी ये मुराद पूरी हो गई। आज मैं आपको ये कहानी सुनाने जा रहा हूँ। मैं चाहता हूँ उस पल को हूबहू आपके सामने पेश करूँ। मैं कोशिश कर रहा हूँ वो सब लिखने को जो मेरे और रेशमा भाभी के साथ हुआ था। ये मेरी पहली कहानी है इस वेबसाइट पर और मुझे नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर कहानियां पढ़ना बहुत पसंद है।


सबसे पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ। मेरा नाम बबलू है मैं ग़ाज़िबाद जो दिल्ली के पास है मैं वही रहता हूँ। पहले मैं दिल्ली में रहता था आज से तीन साल पहले मैं ग़ाज़िबाद शिफ्ट हो गया हूँ पर रेशमा भाभी का परिवार दिल्ली में ही रह गए। असल में रेशमा भाभी मेरी पड़ोसन थी वो अपने पति और दो बच्चे के साथ रहते रहते थे। एक दिन अचानक ही मेरे घर गए और संयोग से मेरी पत्नी मायके गई हुई थी और उनलोगों को ये बात पता भी नहीं था। जब वो मेरे फ्लैट पर आये तब इस बात का पता चला की मैं अकेले ही घर पर हूँ।

वो लोग बहुत उदास हो गए। पर मैंने उनको दिलासा दिलाया की आप लोग उदास नहीं हों आज रात हमलोग पार्टी करते हैं। रेशमा भाभी अपने बच्चे को नानी घर छोड़कर आ रही थी। और उनका पहले से प्लान था एक दिन रुकने का। पर वो लोग बोल रहे थे की भाभी जब यहाँ नहीं है तो मजा नहीं आएगा पर मैंने उन्दोनो को रिक्वेस्ट किया और वो लोग रूक गए। रात को खाना खा रहे थे और हम तीनो शराब भी पी रहे थे। भाभी भी शराब पीती है तो कंपनी अच्छी बन जाती है। हम तीनो खा पी रहे थे और हंसी मजाक कर रहे थे। अचानक ही रेशमा भाभी के पति के पास फ़ोन आया असल में उनका गाँव हापुड़ है। उनके घर वाले लड़ाई कर लिए थे और पुलिस पकड़कर ले गई थी इसलिए इनको जमानत के लिए जाना था।

ऐसे में रेशमा भाभी को साथ ले जाना उचित नहीं समझा और वो अकेले ही चल दिया और भी लोग दिल्ली से आ रहे थे उन्ही के साथ वो चले गए। रात के करीब ग्यारह बज रहा था। वो वापस आने का प्रश्न ही नहीं था। वो बोल कर ही गए की सुबह आऊंगा घर में मैं और रेशमा भाभी ही थी। अब घर में एक औरत और मर्द हो और साथ माँ जाम छलक रहा हो तो आप खुद सोचिए वहां का फिजा क्या होगा। रेशमा भाभी नशे में आ गई थी कपडे उनके अस्त व्यस्त थे दुप्पटा अलग रख दी थी पति सामने नहीं होने पर उनको अब किसी प्रकार का कोई भय नहीं थी।

उनकी चूचियां साफ़ साफ़ दिख रही थी। गला ज्यादा डीप था तो बड़ी बड़ी खूबसरत गोरी चूचियां साफ़ साफ़ दिख रही थी मेरा मन ख़राब होना शुरू हो गया था। मैंने तारीख कर दी भाभी आप बहुत ही हॉट हो खूबसूरत हो। और लगे हाथ ये भी कह दिया जब किसी को पटाने का मन हो तो काश आपसे मेरी शादी हो गई होती तो मेरी ज़िंदगी संवर गई होती। उन्होंने कहा क्यों आपकी बीवी भी तो हॉट और सेक्सी है। मैंने तुरंत ही कह दिया आपके जितना नहीं आप मेरी बीवी से ज्यादा खूबसूरत हॉट और सेक्सी हो।

उन्होंने कहा पर क्या करें मेरे पति है जो मेरी कदर ही नहीं करते। तो मैंने तुरंत कह दिया बंदा हाजिर है कदर मैं कर देता हूँ आज रात के लिए आप मुझे खुद को सौंप दो फिर देखो आज की रात हम दोनों के ज़िंदगी का खूबसरत पल और यादगार बन जायेगा। उन्होंने कहा अपने मेरी दिल की बात कह दी। मैं आपसे यही चाहती थी मैं बहुत पहले से ही आपके साथ सोना चाहती थी। इतना सुनते ही मेरे दिल की धकड़न तेज हो गई ऐसा लग रहा था पता नहीं मुझे क्या मिलने बाला है। मैं उनके सोफे पर बैठ गया मैं पहले सामने बैठा था। उनके करीब जैसे ही गया भाभी ने मेरा कालर पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।

ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह उनके गुलाबी होठ मेरी तरफ बढ़ने लगे और मैं डुबकी लगाने की तरफ बढ़ रहा था हम दोनों एक दूसरे के होठ को चूमने लगे ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह मैं वाइल्ड होने लगता तो रेशमा भाभी कहती धीरे धीरे करो। और फिर हौले हौले उनके होठ को चूसता वो भी उसी अंदाज में मेरे होठ को चूसती। हम दोनों एक दूसरे के होठ के प्याले को पी रहे थे। उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया मेरा लंड पहले से ही मोटा हो चूका था।

हम दोनों खड़े हो गए और मैं उनको गोद में उठाकर बैडरूम में ले गया। उनको बेड पर लिटा कर सबसे पहले उनके होठ को चूमा फिर गाल फिर गर्दन हाथ पैर फिर उनको कंधे पर उन्होंने नुझे कपडे उतारने को बोली मैं अपना कपडा तुरंत उतार दिया। फिर भाबी बैठ गई। में उनके समीज सलवार को उतार दिया ब्रा का हुक पीछे से खोला और उनकी 34 साइज की चूचियों को बंधन से आज़ाद किया। ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह गोरा बदन जैसे ही बेड पे पड़ा मैं पागल हो गया क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा था।

उन्होंने मेरे लंड को पकड़ ली आगे पीछे करते हुए मुँह में ले ली मैं सन्न रह गया। आज तक मेरी बीवी मेरे लंड को मुँह में नहीं लेती खुद है जब तक मैं जबर्दश्ती नहीं करता पर रेशमा भाभी सबसे पहले लंड से ही शुरू कीउन्होंने मेरे लंड को चूसते हुए अपने कंठ तक ले जाती थी। मैं पागल हो रहा था सिहरन मेरे शरीर में हो रही थी। फिर वो लेट गई और अब मेरी बारी दोनों टांगो के बिच में बैठ कर मैं उनकी चूत को चाटने लगा। उनकी चूत से गरम गरम पानी निकल रहा था ओह्ह्ह्हह्ह नमीं पानी पीकर मैं कामुक हो रहा था।

मैं अब उनकी चूचिओं के तरफ बढ़ा और गोल गोल चूचियों को हौले हॉल से दबाते हुए निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा। ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उनकी अंगड़ाई और सिसकारियां सुनकर तो कोई भी पागल हो जाए। मैं उनके एक एक अंग से खेलने लगा यहाँ तक की उनकी गांड को भी चाटने लगा। मैं उनकी गांड में ऊँगली घुसा दिया और चूत चाटने लगा वो अपनी चूतड़ को पटकने लगी और मजे लेने लगी। मैं शांत होकर चाट रहा था वो सिसकारियां ले रही थी और मुँह से सेक्सी आवाज निकाल रही थी। बस्स्स करो प्लीजजजजज ओह्ह्ह्ह क्यों लगा रहे हो आग मेरी जिस्म में ओह्ह्ह्हह्ह काश आप मेरे पति होते रोज इतना ही मजा देते। ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह

मैं भी ऐसी ही चाहती हूँ मेरे जिस्म को कोई छेड़े मेरी चूत की रस को चाटे मेरी चूचियां दबाये मेरे निप्पल को अपनी दांतो से काटे ओह्ह्ह्हह्हह आज मैं लूट गई आज मैं धन्य हो गई। आज मेरी अन्तर्वासना भड़क गई है मैं आज खूब चुदना चाहती हूँ आपके मोटे लंड से। ओह्ह्ह्हह्ह आज मुझे खुश कर दो मैंने अपना लंड उनकी चूत की छेद पर लगाया और जोर से अंदर घुसा दिया।

उनके मुँह से आवाज आई आज मेरी हसरत पूरी हो गई। ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह और जोर से और जोर से मैं तेजी तेजी से लंड को अंदर बाहर करने लगा वो अपनी चूचियों को खुद ही मसलने लगी और गांड गोल गोल घुमाने लगी। आआआ अअअअअ अअअअअ की आवाज निकालती और गोल गोल गांड घुमाती मुझे बाहों में भर्ती और खुद ही दांतो से अपने होठ को काटती। मैं चूचियों को दबाते हुए जोर जोर से धक्के देकर चोद रहा था। अचानक से वो मुझे निचे लेटने बोली और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई।

अब वो मेरे लंड को पकड़कर चूत के अंदर ली और जोर जोर से झटके दे दे कर चुदने लगी बड़ी बड़ी चूचियां को दबाते हुए मैं निचे से धक्का देने लगा ओह्ह्ह्हह्ह भाभी आपने आज मुझे भी खुश कर दिया जैसे ही मैंने ये बात कही वो और भी जोश में आ गई और झटके देने लगी। हम दोनों इतने आतुर हो गए थे की अपने आप को रोक नहीं पाए वो भी झड़ गई और मैं भी झड़ गया।

फिर हम दोनों एक दूसरे को पकड़ कर चूमते हुए बात करने लगे एक घंटे बाद फिर से पैक बनाये फिर पिए फिर चुदाई किये पूरी रात हम दोनों एक दूसरे को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़े। 

Tuesday, June 11, 2024

Indian sex stories /xxx train chudai kahani

 

लड़की के साथ ट्रेन का सुहाना सफर




Xxx ट्रेन चुदाई कहानी में मैं प्रथम श्रेणी केबिन में था. तभी एक जवान लड़की एक ज्यादा उम्र के आदमी के साथ आई. उस लड़की ने मुझे दो रात मजा दिया.

नमस्कार दोस्तो, कैसे हो आप!
आशा करता हूं कि अच्छे ही होंगे।

दोस्तो, मेरा नाम है रतीश, उम्र 30 साल।
बैंगलोर में मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करता हूं।

कभी आपके साथ ऐसा कुछ हुआ है जिससे आप को लगे ‘यार मेरी किस्मत ही फूटी है.’
मगर आगे चल कर यह एहसास हो कि किस्मत ने आपके हिस्से में कुछ अलग सी चीज ही लिखी हुई है।

तो मेरे जिंदगी में कुछ ऐसा अनोखा घटना घटी जिससे मैं आप के सामने बयान करने जा रहा हूं।
आशा करता हूं कि मेरी कहानी आप को जरूर पसंद आयेगी।

तो यह Xxx ट्रेन चुदाई कहानी है 2021 की अप्रैल की महीने की।
तब मैंने अपनी पुरानी कंपनी से इस्तीफा दे दिया था.

मुझे कुछ ट्रेनिंग के सिलसिले में दिल्ली जाना था।

अप्रैल 20 को मेरी ज्वाइनिंग थी तो मैं हवाई जहाज की टिकट बुक करवाने लग गया।
18 तारीख की टिकट ले ली मैंने!

उस दिन सुबह से सारे सामान को बस्ते में भर के तैयार हो के हवाई अड्डे पर जा पहुंचा।

और किस्मत देखिए, दोस्त उस दिन एक मेडिकल इमरजेंसी का मरीज मेरे पास आकर बहुत गिड़गिड़ा कर बोला कि उनका दिल्ली जाना बेहद जरूरी है. नहीं तो उनकी जान नहीं बच पाएगी। और फ्लाइट में सीट नहीं है।

न मन होते हुए भी मुझे उनको अपना सीट देनी पड़ी।

मैंने फटाफट बुकिंग काउंटर पर जाकर अगली फ्लाइट के लिए बुक करना चाहा मगर अगले सारे फ्लाइट्स ओवर बुक्ड हो चुके थे।
मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया।

दिल में जो सुकून था किसी जरूरतमंद की मदद करके, वो अभी खुद के लिए गाली बन गया था।

क्या करूं … कुछ समझ नहीं आ रहा था।
तभी मैंने सोचा कि क्यूं ना ट्रेन में टिकट देख लूं।

सौभाग्य से मुझे अगले दिन की टिकट मिल गई फर्स्ट AC में!

मैं घर लौट आया उस दिन और अगले दिन समय से पहले स्टेशन जा पहुंचा।

ट्रेन आकर रुकी।
मैं अपने केबिन में बैठ गया।

4 सीटें थी उसमें … मगर मैं अकेला था।
तो बड़ी खुशी हुई मुझे!

मगर कुछ देर बाद वहां 2 लोग आए।

मुझे लगा कि ये शायद बाप बेटी हैं क्यूंकि जो आदमी था उसका उमर लगभग 45 से ज्यादा थी और जो लड़की थी वो लगभग 25 से 27 के बीच होगी।

वे लोग भी बैठ गए वहां!
बात करते करते कुछ देर में ही मुझे अंदाजा हो गया कि यह आदमी कोई सरकारी नौकरी करता है.
और उसके बाद की कहानी आप समझ ही सकते हो।
लड़की के बाप ने सरकारी नौकरी देख कर बुड्ढे से शादी करवा दी उसकी!

खैर अपने को क्या … मन ही मन में सोचने लग गया।

ट्रेन के चलते ही बुड्ढे ने अपनी बैग से एक बड़ी सी शराब की बोतल निकाली और मुझे देख के पूछा- तुम लेते हो क्या?
मैंने उससे साफ मना कर दिया।

वह वहां बैठ कर पीने लग गया।

उसे नशा होते ही उसके बीवी बोली- आप ऊपर जा के पियो और वहीं सो जाओ।
और वह बुड्ढा ऊपर चला गया।

अब उसकी बीवी और मैं ही नीचे बैठे थे।

बहुत ही खूबसूरत थी वो!

हम बात करने लगे इधर उधर की!

और बातों बातों में ही पता चला कि उसका नाम शीतल है।
उसकी शादी कैसे हुई … उसका पति कैसे उसको खुश नहीं रखता है वगैरा वगैरा!

बात करते करते वक्त कहाँ बीत गया, पता नहीं चला।

शाम हो गई उसका पति नशे में ऊपर सोया था।
हम दोनों खाना खा के सीने को तैयार हो गए।

वह अपनी बेड पे लेट गई।
मैं अपने बेड पे लेटे लेटे मोबाइल में कुछ करने लग गया।

मुझे नींद नहीं आ रही थी।

लगभग 10.30 बजे मुझे अपने पैरों में कुछ महसूस हुआ।
मोबाइल की रोशनी से देखा तो शीतल खड़ी थी मेरे पास!

मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वह बोली- आपको नींद नहीं आ रही है क्या?
मैं बोला- हां, नहीं आ रही है।

तो वह मेरे पास में बैठ गई और अपने हाथ मेरी पैंट के ऊपर सहलाने लगी।
मुझे कुछ समझ में नहीं आया।

ऊपर से अंधेरे में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था।

मैं फिर से मोबाइल की रोशनी से उसको देखने लगा तो वह रोशनी बुझाने के लिए इशारा करने लगी।
मैं कुछ समझ ही नहीं पा रहा था।

और उतने में ही वह मेरे ऊपर लेट गई और मुझे चूमने लगी पागलों की तरह!

मेरी धड़कन ट्रेन की तरह भागने लगी।
और मैं भी उसको चूमने लगा।

कितने नर्म, मुलायम होंठ थे उसके!
मैं अपना हाथ उसकी गांड के ऊपर रखकर दबाने लगा।

हाए यह गांड है या कोई मखमली केक। इतनी नरम भी कोई चीज हो सकती है मुझे नहीं मालूम था।

कुछ देर जी भर के मुझे चूमने के बाद वह धीरे धीरे नीचे जाने लगी।
और जाते जाते मेरी छाती पर और पेट को चूमते हुए गई।

मेरा लंड तब तक खड़ा हो चुका था।

पैंट का बटन खोल के उसने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया।

“हे भगवान!” वह बोली।
मैंने कहा- क्या हुआ?
वह बोली- यह क्या है?
मैंने कहा- यह तो मेरा हथियार है।
वह बोली- इतना बड़ा?
मैंने कहा- हां!

वह खुश हो गई और चूमने लग गई उसको!
बहुत ही अद्भुत शांति मिल रही थी मुझे

इससे पहले मैंने कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया था।
तो आप समझ ही सकते ही।

खैर वह मेरे लंड को चूमने लगी चाटने लगी।

मैं आंखें बंद कर के यह सब अनुभव कर रहा था।

अचानक उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया।

हाय! मैं पागल हो उठा उसके मुंह की गर्मी से!

लोलीपॉप की तरह चूसने लगी उसको वह!
उसकी लार से लथपथ हो गया मेरा लंड।

उसके चूसने की सिर्फ आवाज आ रही थी मुझे!
कभी कभी इतना जोर से वह मेरे लंड को अपने मुंह में घुसा लेती थी तो उसके गले तक पहुंच जाता था।

मैं तो जैसे स्वर्ग में ही था।

बस 10 मिनट चूसने के बाद मुझे अहसास हुआ कि अब मेरा वीर्य निकलने वाला है।
तो उसे मैंने इशारा कर दिया।

मगर उसने अपनी चूसने की रफ्तार बढ़ा दी।
और देखते ही देखते मेरे लंड से वीर्य पच पच कर के उसके मुंह के अंदर निकल गया।

मैंने उसको घूंट लेकर मेरे सारे वीर्य को पीने की आवाज सुनी।
वह मेरे पास आकर बोली- काश … मुझे ऐसे हथियार से पानी पीने मिलता।

मैंने उसके मुंह से मेरे वीर्य का गंध आती महसूस की।

मैं बोला- यह तुमने जो किया, यह सही नहीं है। अगर तुम्हारे पति जाग जाते तो?
वह बोली- वो एक बार सोता है तो उसके पास बम गिरेगा तो भी नहीं उठेगा।

और हम दोनों हंसने लगे।

कुछ देर तक हम बात करते रहे।
फिर उसने मुझे अपने अंदर की आग बुझा देने को कहा।

मैं भी राजी हो गया उसकी इस बात से!

हम फिर से एक दूसरे की चूमने लगे।
एक बार फिर से उसने मेरे लंड को चूस चूस कर सख्त बना दिया।

मैंने एक चादर नीचे बिछा दी।

अपनी साड़ी ऊपर करके उसने अपनी पैंटी निकाल ली।
मैं उसकी चूत पर उंगली फिराने लगा तो वो पहले से भीगी हुई थी।

मैंने फटाफट उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया।
‘उई मा … मर गई!’ ऐसी आवाज निकल गई उसके मुंह से!

मैंने अपने हाथों से उसका मुंह बंद कर दिया और उसको धीरे धीरे चोदने लगा।

उसकी चूत की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी।
तब उसका ब्लाउज निकाल कर उसके चूचे चूसने लगा मैं!
वह पागल होती जा रही थी।

ऐसे 15-20 मिनट उसको घमासान चोदने के बाद उसकी चूत से पानी बहने लगा।
मैंने उसके मुंह को दबाए रखा था ताकि वह चीख ना सके।

चरमोत्कर्ष से उसका शरीर कांप उठा।

उसका पानी निकलते ही मेरा भी समय आ गया।
मगर उसने अपने टांगों से मेरी कमर बांध के रखा था इसीलिए सही समय पर मैं अपना लंड नहीं निकल पाया और उसकी चूत के अंदर ही निकल गया।

वह खुश हो गई इससे!
मैंने कहा- पागल हो क्या? तुम्हारे अंदर ही निकल गया … अब क्या करोगी?
वह बोली- ठीक ही हुआ. इस बूढ़े में इतणा दम नहीं है जो बच्चे दे सके मुझे!

तब हम दोनों ने कपड़े पहन लिए।

मैंने बाथरूम में जाकर खुद को साफ कर लिया।

मैं आया तो वह बाथरूम गई।

चादर को उठाने के लिए मैं मोबाइल की रोशनी में नीचे झुका तो चादर पूरी गीली हो चुकी थी और आसपास फर्श भी पानी से भीग चुका था।

मैंने मन में ही सोचा कि यह लड़की शायद बहुत ही भूखी थी।

इतने में वह आई तो मैंने उसको उसका पानी दिखाया।
वह बोली- यह पहली बार हुआ है मेरे साथ!

फिर उसने उस चादर से ही साफ कर दिया वो सब!

और फिर हम दोनों अपनी अपनी सीट पर सो गए।

सुबह हुई तो मैंने देखा कि बूढ़ा सामने बैठा है और शीतल सोई हुई थी।

मुझे देखते ही उसने मुझे गुड मॉर्निंग कहा और मैंने भी बदले में उसको गुड मोर्निंग कहा।

“नींद कैसी आई रात में?” उसने पूछा।
तो मैंने ‘अच्छी आई’ बोल दिया।

हम दोनों बात ही कर रहे थे कि शीतल भी उठ गई।
मैंने उसको गुड मॉर्निंग बोला.
वो भी शर्म से मुस्कुरा कर गुड मॉर्निंग बोली।

दिन हमने बातें करके काट दिया और फिर रात आई।

बूढ़ा ऊपर दारू पीकर सो गया और मैंने और शीतल रात भर चुदाई की।

उस रात 3 राउंड Xxx ट्रेन चुदाई में मेरा वीर्य उसकी चूत में भर गया।

सुबह सुबह हम दिल्ली पहुंच गए।

जाते जाते हमने एक दूसरे का मोबाइल नंबर ले लिया।

आज तक हम फिर कभी नहीं मिले मगर व्हाट्सएप पर बात होती रहती है।

उसको अब एक बेटा है जिसको अभी अभी एक साल पूरा हुआ।
वह कहती है वो मेरा खून है मगर पता नहीं!

खैर देखते हैं कब पुनः होती है मुलाकात उससे!

अगर वह मुझे मिलती है तो कहानी का अगला भाग बन कर आप के पास आयेगा।

आशा करता हूं आपको Xxx ट्रेन चुदाई कहानी अच्छी लगी होगी।
अपना ख्याल रखना!
मिलते हैं जल्द ही!

Friday, April 2, 2021

Indian bhabhi hindi sex story

 आज मैं आपको जो हॉट भाबी सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ यह मेरी पहली और सच्ची घटना है.

ये घटना मेरे साथ उस समय घटी जब मैंने नया नया अपना काम शुरू किया था।
श्रावण का मास चल रहा था. आप सब तो जानते हो कि इस मौसम में बारिश का कुछ भरोसा नहीं होता कि कब बादल बरसने लगें.

मैं उस दिन अपने घर की छत पर घूम रहा था. बादल तो नहीं बरसे लेकिन एक भाभी जरूर बरस गयी.
घूमते हुए मेरी नज़र मेरी पड़ोस वाली भाभी पर पड़ी.

उसका नाम रूबी (बदला हुआ) था और उसके पति फ़ौज में एक उच्च अधिकारी के पद पर कार्यरत थे।

भाभी का फिगर 36-32-38 का था. रंग से एकदम दूध सी गोरी थी. उसकी आंखें हल्के नीले रंग की थीं. गांड काफी फूली हुई थी. उसके चक्कर में गली मौहल्ले के सभी लड़के रहते थे.

सभी उसको चोदने की फिराक में रहते थे क्योंकि पति तो ज्यादातर बाहर ही रहता था इसलिए भाभी को पटाने की जुगत में हर कोई लगा रहता था.
अकेली औरत पर सबके लंड लालायित हो जाते हैं.

उनके पति साल में एक या दो बार ही लम्बी छुट्टी पर आते थे इसलिए भाभी की चूत अक्सर प्यासी ही रहती थी.

उस दिन जब मैं छत पर घूम रहा था तो भाभी मुझे देख रही थी.
मैं भी उनकी ओर ध्यान देने लगा.

इससे पहले भाभी ने कभी मुझसे बात नहीं की थी. मगर उस दिन वो खुद मेरा हाल चाल पूछने आई. फिर बातों ही बातों में उसने मेरा नम्बर भी ले लिया.

भाभी से मेरी फोन पर चैट होने लगी.
जब उसे लगा कि मैं उसके भरोसे के लायक हूं और मैं उसकी बात को कहीं बाहर नहीं बातऊंगा तो वो मुझसे फोन पर बात भी करने लगी.

धीरे धीरे हमारी देर रात तक बातें होने लगीं.
अब भाभी के साथ मैं सेक्स की बातें भी कर लिया करता था.

ऐसे ही हफ्ता भर निकल गया. भाभी की बातों से मुझे पक्का यकीन हो गया था कि वो चुदना चाह रही है.

एक बार भाभी ने मुझे रात को मिलने के लिए बुलाया.
मैं रात को मिलने की बात पर बहुत खुश हो गया. आज शायद जरूर मेरे और भाभी के बीच में कुछ होने वाला था.
मेरा लण्ड रात के बारे में सोच कर सख्त हो गया था।

रात को तकरीबन 10 बजे मैं उनके घर पर पहुँच गया. वहां जाकर मुझे पता चला कि उनके घर में केवल वो और उनकी बेटी ही रहती है.

मैं जाकर भाभी से मिला तो भाभी ने मुझे पास के रूम में बैठने को बोला तो मैं पास के रूम में चला गया।

काफी देर तक मैं प्रतीक्षा करता रहा. 15 मिनट हो गये. वो नहीं आयी.

फिर आधे घंटे के बाद भाभी मेरे रूम में आ गयी. क्या बला की खूसबूरत लग रही थी वो उस वक्त!
उसने गुलाबी रंग की पारदर्शी नाईटी पहनी थी और उसमें उनकी गुलाबी ब्रा और जालीदार पैंटी साफ़ दिखाई दे रही थी।

रूम में आकर भाभी ने दरवाजे को अंदर से लॉक कर दिया.
मैंने कहा- मगर रूबी भाभी … आपकी बेटी?
उसने मेरे पास आकर मेरे होंठों पर उंगली रख दी.

उनके बदन की खुशबू मुझे मदहोश करने लगी. उनका कोमल जिस्म और उस पर वो पारदर्शी नाइटी में झलकता उनका यौवन.
मैं तो एकदम से किसी और दुनिया में चला गया.

मैंने भाभी की उंगली को अपने होंठों से चूम लिया तो वो मुस्करा दी.
फिर वो मेरे पास आकर बैठ गयी और मेरे हाथ को अपने हाथ में ले लिया.
दो मिनट तक वो मेरे हाथ को सहलाती रही और मुझे कुछ खाने पीने के लिये पूछती रही.

मगर मैं घर से खाना खाकर आया था और अब बस केवल भाभी की चूत खाना चाहता था और उसकी चूचियों का दूध पीना चाहता था.
मैंने भाभी को भी यही बोला कि मुझे उसकी चूत खानी है और उसकी चूचियों का दूध पीना है.

वो मेरी बात पर जोर जोर से हंसने लगी और मैंने उसको पकड़ कर नीचे बेड पर लिटा लिया.
मैं उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों पर होंठों को रखकर उसको चूमने लगा.

उसने मेरी पीठ पर अपनी बांहें लपेट दीं और चूमने में मेरा साथ देने लगी. उसके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे.
उसके होंठ इतने मुलायम थे जैसे गुलाब की पंखुड़ी हों।

मैं भाभी के बोबे को पकड़ कर मसल रहा था और उनके निप्पल को बहुत बेदर्दी से चूम रहा था।

अभी भाभी ने नाइटी नहीं उतारी थी मगर उसकी चूचियों के निप्पल उसकी ब्रा और नाइटी के अंदर भी पूरे तने हुए दिख रहे थे.

एक हाथ से मैं भाभी की चूत को सहला रहा था और वो अपनी टांगें सिकोड़ कर चूत को सहलाने का पूरा मजा ले रही थी.
फिर मैंने उसकी नाइटी को खोल दिया.

उसकी गुलाबी ब्रा में कैद उसके मोटे मोटे चूचे जैसे फंसे हुए थे.
वो बाहर आने के लिए बेताब थे और उसकी ब्रा को जैसे अंदर से ही धकेल कर कह रहे हों कि हमें यहां से बाहर निकालो. हमें खुले में आने दो.

मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दोनों तरफ से दबाया और उनको भींचने लगा.

भाभी भी चुदासी होती जा रही थी और चूचियों पर वो भी अपना जोर लगा रही थी.

फिर उसने अपनी नाइटी पूरी उतार दी. अब वो केवल ब्रा और पैंटी में ही थी.

मैंने उसकी चूचियों को एक हाथ से मसलते हुए अब उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को भी सहलाना शुरू कर दिया.

अब भाभी की पैंटी को हटाकर मैंने उसकी चूत को छू लिया.
मैं तो पगला गया. भाभी की चूत पूरी गर्म थी और गीली होना शुरू हो गयी थी.
मेरी उंगली पर उनकी चूत का रस लग गया और मैंने वो उंगली बाहर निकाल कर चाट ली.

वो बोली- ऐसे उंगली से क्या चाट रहे हो … पूरी ही चाट लो मेरी चूत!
ये सुनकर मैं खुश हो गया. मैं तो खुद ही उसकी चूत को पीना चाह रहा था.

मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और तेजी से अंदर बाहर करने लगा.
वो जोर जोर से सिसकारने लगी- आह्ह .. आराम से कर लो यार … पूरी रात ही अपनी बची हुई है.

चूत में उंगली डाल कर मैं हिलाने लगा और भाभी की चूत लगातार गीली हो रही थी।
अब मैं भाभी की चूत से उंगली निकाल कर उसके मुँह में दे देता था.

फिर उसने अपनी पैंटी पूरी उतार दी. मैंने भी अपने कपड़े उतार फेंके और केवल अंडरवियर में रह गया.
भाभी मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी. उनकी चूत के ऊपर एक भी बाल नहीं था.

मेरे पूछने पर भाभी ने बताया कि उसने आज ही अपनी चूत की सफाई की है.
तभी मैंने उसकी चूत के ऊपर अपना मुँह लगा दिया किन्तु भाभी ने मुझे रोक दिया।

वो बोली- तुम लेट जाओ.
मैं लेट गया तो भाभी उठी और दोनों टांगों को मेरी दोनों बगल में कर लिया. फिर उसने मेरे ऊपर बैठते हुए अपनी चूत मेरे होंठों पर रख दी और मेरे मुँह के ऊपर बैठ गयी।

मैं तो पागल सा हो गया. भाभी का भोसड़ा मेरे चेहरे पर था. मैं उसको खाने के लिए मचल उठा.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और भाभी मेरे होंठों के ऊपर अपनी चूत को रगड़ रही थी।

भाभी की चूत से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी और नमकीन सा स्वाद भी आ रहा था।
सच में दोस्तो, रूबी भाभी की चूत बहुत रसीली थी। मैंने भी खूब शिद्दत से उसकी चूत चूसी.

अब मैंने देर न करते हुए अपना लण्ड निकला और उनके हाथ में पकड़ा दिया।
भाभी जो कि काफी महीनों से प्यासी थी, उनकी आँखों में मेरा लण्ड देखकर चमक आ गयी।

वो पीछे ले जाकर एक हाथ से मेरे लण्ड को सहला रही थी और अपनी गांड हिला हिलाकर अपनी चूत को मेरे होंठों से रगड़ रही थी।

तभी उसकी गति बढ़ गयी और वो तेजी से मेरे मुंह पर चूत को फेंकने लगी.

अब मैं भी उसकी गांड को पकड़ कर चूत में जीभ को पूरी अंदर तक घुसाने लगा.
वो बदहवास सी होने लगी और मेरे लंड को छोड़कर अपनी चूचियों को जोर जोर से भींचने लगी.

उसकी चूचियों के निप्पल एकदम पहाड़ की चोटी की तरह उसकी चूचियों पर नुकीले होकर तन गये थे.
मेरा मन कर रहा था कि उसके निप्पलों को काट कर खा ही लूं.

फिर उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और जोर से मेरे मुंह में अपनी चूत को सटा दिया.
उसकी आह्ह … निकली और उसकी चूत ने गर्म गर्म पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया.
वो झड़ने लगी और मैं उसका सारा पानी पी गया.

उसके बाद भाभी ने मुझे नीचे ही लिटाए रखा और मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. वो एकदम रंडी की तरह मेरा लण्ड चूस रही थी.

उसने ऊपर से नीचे तक लण्ड को चूसा, बहुत प्यार से उसको सहलाया और तब तक वो फिर से गर्म हो गयी थी।
अब वो खुद ही अपनी चूत पर मेरे लंड को रगड़ने लगी.

तब वो बोली- अब जल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा दे … मैं कई महीनों से प्यासी हूं.
मैंने उसकी चूत को हाथ लगाया तो वो भी ख़ुशी के मारे आंसू बहा रही थी।

अब मैं उठ गया और पोजीशन ले ली. मैंने भाभी की टांगों को उठाया और अपना लण्ड उनकी चूत के छेद पर सटा दिया.
भाभी बस जैसे इंतजार में थी कि कब मेरे लंड का धक्का लगेगा और लंड उनकी चूत में जायेगा.

मैंने भी उनकी आंखों में देखा और एकदम धक्का दे दिया और अपना लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया.
तभी भाभी चीखी और उसने आह्ह … के साथ मेरे लंड को चूत में आने दिया.

उसकी चूत ज्यादा खुली तो नहीं थी लेकिन बहुत ज्यादा टाइट भी नहीं थी.
मेरा लंड मोटा था इसलिए लेने में उनको परेशानी हो रही थी.

फिर मैंने थोड़ा जोर लगाया तो लंड उनकी चूत में पूरा का पूरा उतर गया.
भाभी की आँखों में आंसू आ गए थे लेकिन वो खुश थी क्यूंकि उनको आज लण्ड मिल गया था जिससे उनकी चूत की प्यास बुझने वाली थी।

मैंने धीरे धीरे अपना लण्ड अंदर बाहर करना शुरू किया।
भाभी को भी बहुत आनंद आ रहा था. वो भी अपनी गांड उठा उठाकर चुदने लग गयी.
उनके मुँह से आअह्ह … आआह्ह … की आवाज़ बहुत ही प्यारी लग रही थी।

मैं उनको इस पोजीशन में 15 मिनट तक चोदता रहा.
तभी भाभी बोली- अपना मुंह खोलो. मैं अब झड़ने वाली हूं.
मैंने हांफते हुए कहा- आह्ह … भाभी … मैं भी आने वाला हूं. चूत में गिरवा लो न … बहुत मन कर रहा है आपकी चूत को भरने का.

वो बोली- नहीं, चूत में नहीं गिरवा सकती. अगर तुमने कॉन्डोम पहना होता तो गिरवा भी लेती. मगर अभी नहीं गिरवा सकती.

भाभी बोली- जल्दी से निकाल लो और मेरी चाटो!

फिर मैं नीचे लेटा और जल्दी से वो मेरे मुंह पर अपनी चूत को रगड़ने लगी.
वो एकाएक झड़ने लगी. उसकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ा जिसको मैं पूरा का पूरा पी गया.

अभी तक मगर मैं झड़ा नहीं था।
मैंने भाभी को घोड़ी बना लिया और उनकी गांड के छेद को चाटने लगा- उम्म … आह्ह … करते हुए मैं पूच पूच … की आवाज के साथ उसकी गांड को चाट रहा था.

बहुत अच्छा लग रहा था मुझे। भाभी भी बहुत मस्त होकर अपनी गांड चटवा रही थी।
भाभी ने मुझे बताया कि उनकी गांड अभी तक कुंवारी है.

तभी मेरे मुँह में पानी आ गया और मैंने अपना लण्ड भाभी की गांड पर सेट कर लिया।
भाभी ने मुझे बहुत रोका लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी और अपना लण्ड धीरे धीरे करके उनकी गांड में घुसाना चालू कर दिया.
वो चिल्लाने लगी, छटपटाने लगी लेकिन मेरे ऊपर गांड चोदने का भूत सवार हो गया था.

मैंने धक्के दे देकर भाभी की गांड में लंड फंसा दिया.
मेरा लंड भी दर्द करने लगा क्योंकि भाभी की गांड बहुत ही ज्यादा टाइट थी.
फिर मैं उसके ऊपर ही लेट गया.

उसको जब थोड़ा आराम मिला तो मैंने उनकी गांड चुदाई शुरू कर दी.
भाभी को पहले तो बहुत दर्द हुआ लेकिन धीरे धीरे भाभी ने सारा दर्द भुलाकर मेरा साथ देना शुरू कर दिया।

अब मुझे भाभी की गांड चोदने में चूत से भी ज्यादा मजा मिल रहा था.
उसकी गांड में मेरा लंड फंस फंसकर जा रहा था. भाभी कराह रही थी लेकिन गांड चुदवाने का मजा भी ले रही थी.

जब मेरा लण्ड उनकी गांड में जाता तो मेरे टट्टे उनकी चूत से टकरा जाते जिससे फट … फट … की आवाज़ निकल रही थी।
उस आवाज़ ने मुझमें और जोश भर दिया था. अब मैं फिर से झड़ने के कगार पर आ गया था.

तभी भाभी ने मुझे बोला- मेरे मुँह में ही झड़ना. मैं तेरा वीर्य पीना चाहती हूं. मैं अपने फौजी पति का भी वीर्य पीती हूं और मुझे बहुत अच्छा लगता है.

उनके कहने पर मैंने लंड को गांड से निकाला और उसके मुंह में डाल दिया.
मैंने भाभी के मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और सिर को पकड़ कर उनके मुंह को चोदने लगा.
ऐसे ही लंड को अंदर बाहर करते हुए मैं झड़ गया।

भाभी ने मेरा सारा माल निचोड़ लिया. एक एक बूंद वीर्य को वो अंदर ही निगल गयी.
मैं और भाभी बहुत खुश थे. हम दोनों संतुष्ट हो गये थे.

उस रात मैंने हॉट भाबी से 4 बार सेक्स किया।
अगले दिन मैं सुबह 5 बजे अपने घर आ गया था।

उसके बाद हमारा चुदाई का कार्यक्रम लगातार जारी रहा। भाभी को मेरे से एक लड़का भी पैदा हुआ जिसका नाम उन्होंने जॉन रखा।

Monday, March 29, 2021

Hindi Sex Stories |Devar bhabhi sex

 

चाची ने मेरे टावल में हाथ डाला

दोस्तों यह बात पिछली होली की है, मेरा घर एक कॉलोनी में है और उस कॉलोनी में मेरे एक रिश्तेदार का घर भी है, वो लोग दो भाई है. दोस्तों वैसे तो वो लोग रिश्ते में मेरे चाचा लगते है, लेकिन उनकी बीवियों की और मेरी उम्र में ज्यादा फ़र्क नहीं है, में 27 साल का हूँ और मेरी बड़ी वाली चाची 35 साल की और छोटी वाली 33 साल की है, वो दिखने में थोड़ी सी मोटी लगती है, लेकिन मुझे तो वैसी ही औरते शुरू से बहुत पसंद है और हमेशा भरा हुआ बदन बहुत मस्त होता है, तभी तो दबाने में मज़ा आएगा.



दोस्तों में उस दिन अपने दोस्तो के साथ सुबह से ही होली खेल रहा था और हमारी कॉलोनी में बहुत मस्ती हो रही थी और हमारी कॉलोनी में एक लड़की है, जिसके साथ में बहुत खुला हुआ हूँ और वो भी मेरे फ्रेंड ग्रुप में ही है और सभी को पता था कि हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब है, लेकिन हम लोगों के बीच में बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड वाला ऐसा कुछ भी नहीं था, बस हम लोग टाईम पास करते थे.

अब हम उसके साथ उस दिन सुबह से होली खेल रहे थे, उसकी बिल्डिंग की नीचे रंग खेलने के लिए उसकी बिल्डिंग वालों ने पूरा सेट अप तैयार किया हुआ था. गाड़ियाँ पार्किंग करने वाली जगह में सभी को होली खेलनी थी और उसके दूसरी तरफ अलग से नहाने के लिए टब रखा हुआ था. हम लोग वहां पर बहुत देर तक खेले और वैसे उनकी बिल्डिंग के सारे लोग मुझे पहले से ही जानते थे, क्योंकि मेरा वहां पर बहुत बार आना जाना बना रहता था तो इसलिए वहां पर मुझे कोई भी रोक टोक नहीं थी. फिर वहीं पर सारे लोग जमा हो गये थे.

अब उसकी बिल्डिंग के सारे लोग एक तरफ मज़े कर रहे थे तो दूसरी तरफ सोनल को मेरे दोस्त और में एक दूसरे को बहुत परेशान कर रहे थे, कभी कभी उसको रंग लगाते समय उसके बूब्स छू जाते थे तो मेरे लिए अपने खड़े लंड का उभार छुपाना बहुत मुश्किल हो जाता था और फिर में जानबूझ कर उसको गर्दन या कमर पर रंग लगाने की कोशिश करता ताकि अगर वो मुझसे बचना चाहे तो मेरे हाथ उसके बूब्स से ना छू जाए, लेकिन वो भी बार बार खुद जानबूझ कर मुझे मौका दे रही थी, जिसकी वजह से मेरे लिए तो बहुत मौज हो गई थी.

तभी कुछ देर बाद बिल्डिंग के एक अंकल सभी के लिए कुछ मिठाई ले आए और वो अब सभी को मिठाई बांटने लगे, वो सब अलग अलग तरह की मिठाईयां थी. अब मैंने उनसे एक पेड़ा ले लिया और फिर अंकल को अपनी तरफ से धन्यवाद बोला. अंकल भी अब डांस करते हुए आगे बड़ गए थे और में जब पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि सोनल भी वहीं पर खड़ी हुई थी और उसके हाथ में एक लड्डू था जो आधा खाया हुआ. तभी उसने मेरे मुहं में वो लड्डू ठूंस दिया और वो हंसकर मुझसे बोली कि हाँ खाओ खाओ और खाओ तुम्हें इसे खाने के बाद असली मज़ा आएगा.

फिर करीब दस मिनट के बाद मुझे अंदाजा हुआ कि उसकी बात का क्या मतलब था? क्योंकि मुझे अब हल्का हल्का सा नशा हो गया था, शायद उस लड्डू में भांग थी और वो भी अब नशे में पूरी तरह से झूम रही थी. जिसकी वजह से में और भी मौज में आ गया था, जिसकी वजह से में उससे और भी ज्यादा चिपककर डांस करने लगा और उस पर पानी डालने लगा. तभी अचानक से वो मेरे पास आई और उसने मेरी टी-शर्ट के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया, उसके हाथ में बहुत सारा गुलाल था और हाथ को अंदर डालने के बाद वो मुझसे बोलने लगी कि ऐसे रंग लगाने में कुछ ज्यादा मज़ा आता है और रंग पूरा अंदर तक जाता है. दोस्तों में तभी उसकी बातें और मुस्कुराने का मतलब तुरंत समझ गया था कि यह मुझसे चाहती है कि में इसके बूब्स को भी रंग से लाल कर दूँ.

में उसका इशारा समझकर मन ही मन बहुत खुश था और भांग के नशे में होने की वजह से मुझे किसी बात का कोई डर भी नहीं था और में बिल्कुल निडर हो चुका था. अब मैंने झटके से उसका एक हाथ पकड़ा और अपने दूसरे हाथ में गुलाल ले लिया और फिर मैंने इधर उधर देखकर जल्दी से उसके टॉप में अपना हाथ अंदर डाल दिया, मेरे ऐसा करते ही उसके तो एकदम होश ही उड़ गये और अब में सीधा उसके निप्पल तक पहुंच गया और ज़ोर से उसके एक बूब्स को दबाने लगा था. मेरे निप्पल को निचोड़ने की वजह से वो एकदम छटपटा गई, लेकिन उसकी आँख में भी सेक्स का नशा साफ झलक रहा था.

फिर कुछ देर बाद मैंने स्पीड से अपना हाथ बाहर भी निकाल लिया और मैंने उससे पूछा कि क्यों सोनल रंग लगाने में ऐसे ही मज़ा आता है ना? तो वो मुझे एक शरारती स्माईल देकर वहां से भाग गई और अब वो अपनी बिल्डिंग के लोगों के साथ डांस करने लगी और अब में भी बड़ा गरम हो चुका था, क्योंकि उस दिन मैंने पहली बार किसी के बूब्स को दबाए थे और वो भी ऐसे खुले में मेरे मन में एक अजीब तरह की संतुष्टि थी और उस दिन में मन ही मन बहुत खुश था.

हम लोगों ने वहां पर कुछ देर डांस किया और तब तक दिन के 12 बज चुके थे तो सभी लोग एक एक करके थक हारकर नहाने चले गये, में भी अपने घर पर चला आया. मम्मी ने मेरा ऐसा हाल देखा तो उन्होंने मुझे सीधा नहाने जाने का इशारा किया और में टावल लेकर सीधा बाथरूम में नहाने चला गया और में बाथरूम के दरवाजे पर ही पहुंचा ही था कि मेरी मम्मी ने मुझे आवाज़ लगाई और फिर कहा कि शायद ऋतु और मीना चाची हम सभी से होली मिलने आएँगे, तुम जल्दी से तैयार होकर बाहर आ जाना और उसके बाद हम सभी लोग मंदिर भी जाएँगे.

फिर मैंने मन ही मन सोचा कि यार अब तो होली खत्म हो गई है और यह लोग अब रंग लगाने आ रहे है और फिर में नहाने चला गया. दोस्तों कुछ देर पहले सोनल के साथ हुई उस घटना की वजह से मेरा लंड पहले से ही बहुत जोश में था और में अंदर घुसते ही उस हसीन लम्हें को याद करने लगा और जैसे में उसके मुलायम, गोल गोल बूब्स मेरे गुलाल से भरे हाथ में थे, में उनको कैसे दबा रहा था और कभी कभी में मन में सोचने भी लगता था कि जब वो ऐसे नंगी होकर नहाएगी तो उसके बूब्स पर मेरे हाथों के निशान होंगे और में तो उस समय यह सभी बातें सोचकर मुठ मार रहा था और में उन सपनों में खोया हुआ था और पूरी तरह से डूब चुका था.

करीब पांच मिनट के बाद अचानक से दरवाजे पर ज़ोर से किसी के मारने की आवाज़ आई, जिसको सुनकर में डर गया और बाहर से मेरी मीना चाची की आवाज़ आ रही थी, क्या हुआ रोहन अंदर क्या साफ करने चला गया, अभी होली खत्म नहीं हुई है, जल्दी से दरवाजा खोलो नहीं तो हम दरवाजा तोड़ देंगे.

दोस्तों वैसे में आप सभी को बता दूँ कि में अपनी ऋतु चाची और मीना चाची से थोड़ा सा खुला हुआ हूँ और वैसे हमारी उम्र में ज्यादा अंतर नहीं होने की वजह से हम लोग कभी कभी बहुत खुलकर बातें कर लिया करते थे और व्हाट्सअप पर भी हम बहुत सारी बातें खुलकर किया करते थे. अब मैंने अंदर से ही बोला कि चाची में अब नहा लिया हूँ, आप दोबारा से मुझे गंदा मत कर देना, नहीं तो मुझे एक बार फिर से इतनी मेहनत करके सारा रंग उतारना पड़ेगा. फिर चाची का बाहर से जवाब आया कि ठीक है हमारे पास थोड़ा सा ही कलर है, तू इस बात की बिल्कुल भी चिंता मत कर, लेकिन तू क्या सोचता है कि तू हमसे बच जाएगा ऐसा कभी नहीं होगा. फिर कुछ देर बाद मैंने सोचा कि में अब दरवाजा खोल देता हूँ नहीं तो यह हल्ला मचा देंगे.

मैंने जल्दी से अपने खड़े लंड को बिना मुठ मारे शांत किया और टावल लपेटकर बाथरूम का दरवाजा खोला और जैसे ही मैंने कुण्डी को हटाया तो चाची ने मुझे ज़ोर से धक्का मार दिया, जिसकी वजह से में अंदर हो गया और अब में उनसे बचने की कोशिश कर रहा था और चाची मेरे साथ ज़बरदस्ती कर रही थी और इतने में ऋतु चाची भी आ गई और उन्होंने मेरे ऊपर पीछे से एक बाल्टी भरकर पानी डाल दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा टावल भीग गया था.

दोस्तों मेरे लंड अब भी पूरी तरह से शांत नहीं हुआ था और पानी की वजह से लंड का सारा आकार अब साफ हो गया था और मुझ पर पानी डालकर वो बाथरूम से बाहर भाग गई और जाते जाते उन्होंने बाथरूम की कुण्डी बाहर से मार दी. फिर मैंने बहुत बार दरवाज़ा पीटा, लेकिन वो तो अपना काम खत्म करके दूसरे रूम में चली गई और मम्मी के पास जा चुकी थी और उधर मेरे पीछे मीना आंटी भी भीग गई थी, हम दोनों अब अंदर ही थे. दोस्तों उस समय मीना आंटी साड़ी पहने हुई थी और पानी की वजह से उनका ब्लाउज उनके बूब्स से पूरा चिपक गया था और में उनकी निप्पल को बाहर से देख रहा था, उनके दोनों निप्पल बड़े आकार के उभरे हुए थे.

दोस्तों उस घटना से पहले तक कभी भी मेरे मन में उनके लिए कोई भी गंदा ख्याल नहीं आया था, लेकिन उस समय मेरे लंड पर खून भी सवार था और सर में भांग का नशा भी था और अब बस मेरा मन डोलने ही वाला था. तभी मीना चाची रंग का एक और पैकेट अपने एक हाथ में लेकर मेरी तरफ बढ़ने लगी और में उनसे बोला कि चाची प्लीज मुझे अब आप रंग मत लगाओ, में भी अभी अभी नहाया हूँ, लेकिन वो मुझसे बोली कि कोई बात नहीं बस एक ही तो पैकेट है और फिर हंसते हुए उन्होंने अपने ब्लाउज में से रंग का एक और पैकेट बाहर निकाल लिया, जिसकी वजह से मुझे उनके बूब्स के दर्शन हुए, लेकिन यह भी दिख गया था कि उनके ब्लाउज के अंदर और भी पैकेट्स रखे हुए है. फिर में समझ गया था कि आज यह नहीं मानेंगे और मुझे दोबारा नहाना ही पड़ेगा, इसलिए मैंने अपना चेहरा मेरे दोनों हाथों से ढक लिया, उन्होंने मुझे चेहरे पर रंग लगाने की बहुत कोशिश की, लेकिन लगा नहीं सकी, वो लगातार कोशिश करती रही और में उनसे बचता रहा.

फिर आखरी में चाची ने मुझसे बोला कि रोहन अब तू चुपचाप मान जा नहीं तो मेरे पास इसके अलावा और भी तरीके है और में उनकी बात को सुनकर हंसने लगा. तब भी मैंने अपने चेहरे को अपने हाथ से छुपा रखा था तो इसलिए मुझे ज्यादा साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था.

दोस्तों तभी अचानक से कुछ ऐसा हुआ कि मेरे दोनों हाथ तुरंत अपने आप चहरे से हट गए, क्योंकि मेरी मीना चाची ने अपना हाथ मेरे टावल में डाल दिया और अब मेरे टाईट तनकर खड़े भीगे हुए लंड पर उनका गरम कोमल हाथ रगड़ खा रहा था और वो मेरे लंड को रंग लगाने के लिए मसल रही थी. फिर कुछ देर बाद मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने अपने लंड को पूरा खड़ा होने दिया और वो भी इस बात को समझ गई, लेकिन हम दोनों ने अनदेखा किया और कुछ सेकेंड्स मसलने के बाद चाची ने हाथ को बाहर निकाल लिया.

अब तक मेरा लंड टावल में एकदम टेंट बन चुका था. तभी मैंने चाची से बोला कि आप रुकिये में अभी आपको बताता हूँ. फिर जैसे में उनकी तरफ बढ़ा वो भागने की कोशिश करने लगी, लेकिन जमीन के गीला होने की वजह से वो फिसलकर गिर गई. अब मैंने उन पर थोड़ा सा भी रहम नहीं दिखाया और में तुरंत उनके ऊपर जाकर बैठ गया, उनका पल्लू हटाया और उनके दोनों हाथों को अपने घुटनों के नीचे दबा लिया.

मैंने उनके ब्लाउज में अपना एक हाथ डाल दिया और रंग के उस पैकेट्स को बाहर निकाल लिया और में जोश मस्ती में बिल्कुल ही भूल गया था कि वो मेरी क्या लगती है? और में ऐसे उन पर हाथ मार रहा था जैसे रोज रात को में उसके साथ ही बिताता हूँ. मैंने रंग का पैकेट फाड़ दिया और एक पैकेट को उनके चेहरे पर छिड़क दिया, जिसकी वजह से उनकी आखें एकदम बंद हो चुकी थी. उनका पूरा चेहरा उसमें रंग चुका था और एक पैकेट को मैंने उनकी छाती पर डाल दिया था और फिर में अपने हाथ से उनके चेहरे पर रंग लगाने लगा था और फिर मैंने उनकी छाती पर अपने हाथ से बहुत हल्के हल्के से मालिश की और वो बस सिर्फ़ अपना मुहं इधर उधर कर रही थी और पैर पटक रही थी और लगातार ज़ोर ज़ोर से हंस रही थी.

फिर कुछ देर बाद मीना चाची ने फिर से पता नहीं कैसे अपना हाथ मुझसे छुड़वा लिया और उन्होंने मेरे पैरों के नीचे से टावल के अंदर अपना एक हाथ डालकर उन्होंने झट से मेरा लंड पकड़ लिया. मेरा लंड एकदम लोहे सा मोटा हो गया था और में भी थोड़ा सा उठा और अपने हाथ से मैंने उनकी साड़ी को ऊपर किया, जिसकी वजह से मुझे उनकी पेंटी नजर आने लगी थी और अब मैंने पेंटी के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया और चूत को छूकर मेरे मन के विचार बिल्कुल बदल गए.

दोस्तों में आप सभी को क्या बताऊँ? एक जवान चूत और एक माँ बनी हुए चूत में बहुत अंतर होता है और मुझे चूत को छुते ही महसूस हो गया कि उनकी चूत के अंदर कितनी गर्मी जोश कामुकता छुपी हुई है? शादीशुदा औरतों की चूत हमेशा आग की तरह धधकती रहती है और मुझे छूकर ऐसा लगा जैसे अंदर कोई भट्टी जल रही हो. मैंने ऋतु चाची की चूत की गरमी को भी छूकर महसूस किया है, अभी कुछ महीने से उनका भी वही हाल था जो वो उस समय मेरा था और सोनल की चूत टाईट और बहुत मज़ा देने वाली थी, लेकिन वो ऐसी गरम नहीं थी. दोस्तों में यह दोनों अनुभव आप सभी को अपनी अगली कहानी में पूरे विस्तार से बाद में जरुर बताऊंगा.

अब में मीना आंटी की चूत को अपनी मुट्ठी में लेकर मसल, सहला रहा था और वो मेरे लंड को ज़ोर से जकड़े हुए थी. फिर वो मेरा लंड को पास लेकर अपनी नाभि पर सटाने लगी थी और में उनकी उस हरकत से तुरंत समझ गया कि आज तो मेरी किस्मत में मेरे लिए चुदाई का वो सुख लिखा हुआ है. अब मैंने ज्यादा समय खराब नहीं किया और दो तीन बार उनकी नाभि पर अपना लंड सटाया और झट से सही मौका देखकर उनकी पेंटी के एक साईड से मैंने अपने लंड को उनकी चूत में डाल दिया.

मुझे बहुत अच्छी तरह से पता था कि उनकी हर रोज रात को चुदाई होती रहती है और सोनल तो मेरे लंड डालते ही एकदम से उछल गई थी. फिर जब मैंने पहली बार अपना लंड उसकी चूत में उतारा था, लेकिन मीना आंटी ने तो बहुत आराम से मेरा लंड अपनी चूत में लेकर एक हल्की सी सिसकी जरुर अपने मुहं से बाहर निकाली, लेकिन उसकी आवाज बहुत धीमी थी.

अब मैंने जल्दी ही अपने धक्को की स्पीड को बढ़ा दिया था. मीना चाची ने अपनी दोनों आखें बंद कर रखी थी और वो अपने ब्लाउज के ऊपर से बूब्स को भी सहला रही थी, वो उस समय पूरे जोश में थी और शायद पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. फिर दो तीन मिनट के बाद उन्होंने अपने बूब्स को बिल्कुल आज़ाद कर दिया. में क्या बताऊँ दोस्तों वाह क्या मस्त आकार के एकदम गोल गोल गोरे बूब्स थे उनके, साला मेरा तो उनको देखकर दिमाग़ ही खराब हो गया और अब मेरे धक्को की स्पीड अपने आप ही दुगनी हो गई. मैंने तुरंत ही अपने रंग लगे दोनों हाथों से उनके दोनों आकर्षक बूब्स को पकड़ लिया, जिसकी वजह से उनके बूब्स पर मेरी उँगलियों के निशान छप गये थे. अब मैंने उनके ऊपर बूब्स पर और नीचे चूत पर पूरा ज़ोर लगाया था.

मेरा लंड लगातार चूत के अंदर बाहर होता रहा और वैसे यह काम कुछ देर तक लगातार चलता रहा. तभी कुछ देर में मेरा वीर्य निकल गया और मैंने जल्दी से लंड को चूत से खींचकर बाहर निकाल लिया और सारा माल उसकी नाभि पर गिरा दिया. चाची अब एकदम से ढीली पड़ गई थी और मेरा भी लंड अब शांत हो गया था, जिसकी वजह से मेरी चाची के शरीर पर से पड़क कमजोर होने लगी थी और फिर मुझे हल्का सा थप्पड़ मारा और उठ गई.

में भी खड़ा हो गया और चाची ने सबसे पहले तो अपनी साड़ी को ठीक किया और उसके बाद वो अपने ब्लाउज को ठीक करने लगी. फिर मैंने उनसे बोला कि चाची आप क्या अपने बूब्स पर लगा सबूत नहीं मिटाओगी? चाचा को पता चल गया कि उनकी शेरनी का आज किसी ने शिकार किया है तो वो बुरा मान जाएँगे. फिर चाची ने शरारती हंसी हंसते हुए बोला कि बेटा आज शेरनी ने ही आज भी अपना शिकार किया है और जहाँ तक रही सबूत मिटाने की बात तो तेरे चाचा अब देर रात तक ही आएँगे, तू शाम को आ जाना सारे सबूत मिटाने. अब मेरे मुहं से स्माईल निकल गई और चाची हंसती हुई जाकर दरवाजे पर खड़ी हो गई और दरवाजा पीटने लगी.

ऋतु चाची ने दरवाजा खोला और हम दोनों को हंसते हुए देखा और पूछने लगी कि क्या हुआ है तुम लोगों को? ज्यादा मस्ती हो गई क्या? तो मीना चाची ने जवाब दिया कि हाँ और आपको रोहन को रंग नहीं लगाना क्या? आप भी जाओ ना अंदर और इतना कहकर मीना चाची ने ऋतु चाची को भी अंदर धक्का दे दिया और वो मेरी छाती पर आकर पड़ी, वो अब मेरी बाहों में थी. मैंने उनको कसकर पकड़ लिया और उन्होंने मुझसे अपने आपको छुड़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रही.

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Saturday, September 26, 2020

Best Hindi Sex stories |Desi Bhabhi

भाभी की चूत का दीवाना हो गया

पापा का ट्रांसफर हो चुका था और हम लोग अहमदाबाद गए थे अहमदाबाद में आने के बाद मैं नौकरी की तलाश में था और जल्द ही मुझे एक कंपनी में नौकरी मिल गई। हालांकि मेरी वहां पर तनख्वा तो ज्यादा नहीं थी लेकिन फिर भी मैं वहां पर जॉब कर रहा था और मैं अपनी जॉब से बहुत ही खुश था। मैं अपनी नौकरी से काफी खुश था और मेरी जिंदगी अच्छे से चल रही थी लेकिन जब मेरी जिंदगी में आशा आई तो मुझे लगा कि अब मेरी जिंदगी और भी अच्छे से चलने लगेगी। हम दोनों की मुलाकात मेरे ऑफिस के एक फ्रेंड ने करवाई जब हम दोनों की मुलाकात हुई तो उसके बाद हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। मुझे आशा का साथ पाकर अच्छा लगा और आशा को भी मेरा साथ अच्छा लगने लगा। हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश थे कि हम दोनों एक दूसरे के साथ रिलेशन में हैं लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि आशा पैसो के पीछे इतनी लालची है कि वह मुझे धोखा दे देगी। आशा ने मुझे बहुत बड़ा धोखा दिया मैंने आशा के लिए ना जाने क्या कुछ नहीं किया लेकिन उसके बावजूद भी आशा ने मेरे प्यार को सिर्फ मजाक बनाकर रख दिया था। आशा मेरी जिंदगी से बहुत दूर जा चुकी थी आशा का कोई पता भी नहीं था कि वह कहां है। जाने से पहले जब एक बार मुझे आशा मिली थी तो मैंने उसे समझाया था कि तुम मेरे साथ ऐसा ना करो लेकिन आशा मेरी एक बात ना मानी और वह मेरी जिंदगी से काफी दूर जा चुकी थी मैं भी पूरी तरीके से टूट चुका था।

हमारे रिलेशन के बारे में सिर्फ हम दोनों को ही पता था आशा कभी चाहती ही नहीं थी कि हम दोनों का रिलेशन किसी को पता चले इसलिए हम दोनों एक दूसरे से छुपके मिला करते थे मुझे तो आशा के घर के बारे में भी नहीं पता था। जब मैंने अपने दोस्त से आशा के बारे में पूछा तो उसने मुझे बताया कि उसकी मुलाकात भी उसके किसी दोस्त ने आशा से करवाई थी लेकिन अब इस बारे में जानने का कोई भी फायदा नहीं था ना तो आशा के बारे में जानने का कोई फायदा था और ना ही मैं इस बारे में कुछ जानना चाहता था। मेरी जिंदगी में आशा की वजह से जो नुकसान हुआ था उसकी भरपाई कर पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल था और मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए। इस वजह से मेरी जिंदगी में काफी ज्यादा प्रभाव पड़ा और मैं बहुत ही मुश्किलों से गुजर रहा था लेकिन मेरी जिंदगी में अभी भी कुछ ठीक नहीं हुआ था मैंने अपने ऑफिस से रिजाइन दे दिया था। मैं काफी समय तक तो घर पर ही था काफी समय तक घर पर रहने के बाद जब पापा और मम्मी ने मुझसे इस बारे में पूछा कि बेटा तुम कहीं जॉब क्यों नहीं कर रहे हो तो मैंने उन्हें कहा कि मैं थोड़े टाइम बाद जॉब करूंगा अभी मेरा कहीं भी मन नहीं लग रहा है।

पापा मम्मी को शायद इस बात का पता चल चुका था इसलिए वह लोग मेरे लिए लड़की तलाशने लगे वह लोग चाहते थे कि मैं शादी कर लूं। उन्होंने मुझे अपने दोस्त की बेटी से भी मिलवाया लेकिन वह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आई और ना ही मेरा मन उससे शादी करने का था। मैं फिलहाल इस बारे में सोच ही नहीं रहा था मुझे कुछ भी समझ नहीं रहा था कि मुझे करना क्या चाहिए। धीरे धीरे सब कुछ सामान्य होता चला गया और मैंने एक कंपनी में जॉब करनी शुरू कर दी, उस कम्पनी में मैं जॉब करने लगा था और सब कुछ ठीक चल रहा था। एक दिन मुझे आशा के बारे में पता चला जब मुझे आशा के बारे में पता चला तो मैं सोचने लगा कि मुझे आशा से बात करनी चाहिए या नहीं। मैंने उसे फोन करने की सोची जब मैंने आशा को फोन किया तो आशा ने मुझे कहा कि रोहित मुझे माफ कर दो अब मैं शादी कर चुकी हूं और मैं नहीं चाहती थी कि तुम्हें इस बारे में पता चले इसलिए मैंने अपनी शादी के बारे मे तुम्हे नही बताया और अब मैं तुमसे कभी भी बात नहीं कर पाऊंगी। मैंने आशा से कहा लेकिन तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? मैं अपनी इस बात का जवाब चाहता था लेकिन आशा के पास कोई भी जवाब नहीं था उसने तो मेरी जिंदगी के साथ सिर्फ खिलवाड़ ही किया था। उसे इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा था लेकिन अब मैंने भी अपनी जॉब पर पूरी तरीके से ध्यान देना शुरू किया और जल्द ही मेरा प्रमोशन भी हो गया। मेरा प्रमोशन हो जाने के बाद मैं अब सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान दे रहा था पापा और मम्मी ने मुझसे कई बार कहा कि बेटा तुम शादी कर लो लेकिन मैं अभी शादी नहीं करना चाहता था। एक दिन जब मैं अपने घर से निकला तो उस दिन मेरी मोटरसाइकिल का टायर पंचर हो गया जिससे कि मुझे ऑफिस जाने के लिए देर हो गई और मैं अपने ऑफिस देरी से पहुंचा। जब मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो उस दिन मेरे बॉस ने मुझसे इस बारे में पूछा तो मैंने उन्हें बताया कि मेरी मोटरसाइकिल का टायर पंचर हो गया था जिस कारण मुझे आने में देर हो गई। उन्होंने मुझे कहा नहीं उसके बाद मैं अपना काम करने लगा और शाम के वक्त मैं घर लौट आया था। हमारे पड़ोस में एक भाभी रहती है। जिनका नाम संजना है वह कुछ दिनों पहले ही हमारे पड़ोस में रहने के लिए आई थी उन्हें देखकर मुझे ऐसा लगता जैसे वह मुझसे बात करने के लिए उतावली रहती है। एक दिन उन्होने मुझसे बात की। जब उन्होंने मुझसे बात की तो मैं भी उनसे बात करने लगा मुझे उनसे बात कर के अच्छा लगता। हम दोनों की बातें अक्सर होने लगी थी लेकिन उनकी नजरों में तो कुछ और ही था वह चाहती थी वह मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए। मैं संजना भाभी के साथ सेक्स करने के लिए तैयार था एक दिन उन्होने मुझे अपने घर बुला लिया। उसके बाद वह मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैंने संजना भाभी के हाथों को पकड़ा मै उनके हाथों को सहलाने लगा था। अब उनके अंदर की गर्मी बाहर की तरफ निकलने लगी थी। मुझे अब एहसास होने लगा था वह बहुत ही तड़पने लगी थी। मैंने जब संजना भाभी को अपनी बाहों में लिया तो वह गर्म होने लगी थी। उनके अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने भाभी के उसके नरम गुलाबी  होंठों को चूमना शुरू किया। मैं जब उनके होठों को चूमता तो वह भी तड़पने लगती।

भाभी अब बिस्तर पर लेट चुकी थी। मैं भाभी के ऊपर से लेटा हुआ था। मैंने उनके कपड़ों को उतारना शुरू किया अब मै उनके बदन से मैंने सारे कपड़े उतार चुका था। भाभी मेरे सामने नग्न अवस्था में थी। उनके नंगे बदन को देखकर मेरा लंड खडा हो गया था। मैं उनके नंगे बदन को देखे जा रहा था। मै उनके गोरे बदन को अब महसूस करना चाहता था। मैंने भाभी के स्तनों को दबाना शुरू किया  मुझे बडे स्तनो को दबाना शुरु किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था। मैं उन्हें अपने मुंह में लेकर चूसता तो वह उत्तेजित हो जाती। भाभी मुझे कहती मुझे मजा रहा है उनके अंदर की आग बहुत ही बढ़ चुकी थी और मेरे अंदर की आग भी अब पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। मैंने अपने मोटे लंड को बाहर निकाला तो उसे भाभी ने अपने मुंह में तुरंत ही लेना शुरू कर दिया था। वह जिस तरह से मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो मुझे मज़ा आता। भाभी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी उन्हे मेरे लंड को अपने मुंह में लेने में बहुत मजा रहा था। हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे। हम दोनों की उत्तेजना इस कदर बढ़ने लगी थी कि मैंने उन्हे कहा मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं। भाभी अपने पैरों को खोल चुकी थी। मैंने जब देखा उनकी चूत से पानी निकल रहा है तो मैं उनकी चूत को अच्छे से चाटने लगा था। मुझे अब बहुत अच्छा लगने लगा था। मैं जब उनकी चूत को चाट रहा था तो मेरे अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी। मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और थूक लगाने के बाद जब मैंने उनकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह चिल्लाई। अब वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी वह मेरे अंदर की आग को बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैंने उनकी चूत के अंदर अपने लंड को तेजी से किया मुझे मजा आने लगा था। मैंने भाभी को बड़ी तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे। मुझे बहुत ही मज़ा आने लगा था और भाभी भी उत्तेजित हो गई थी। मेरे अंदर की आग अब चुकी थी उनके अंदर की आग भी अब बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। भाभी की चूत से पानी बाहर निकलने लगा था अब मेरे अंदर की गर्मी बहुत बढ़ाने लगी थी। मेरे लंड और उनकी चूत की रगडन से गर्मी पैदा हो रही थी वह एक अलग ही आग पैदा कर रही थी। हम दोनों ही एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा तड़पने लगे थे।

मेरा लंड भाभी की चूत की गर्मी को ज्यादा देर तक झेल नहीं पाया और मैंने अपने माल को उनकी चूत में गिरा दिया। जब मैंने अपने वीर्य को भाभी की चूत के गिराया तो वह खुश हो गई थी। मै अब अपने घर लौट आया था।  संजना भाभी के पति जब भी घर से बाहर होते तो भाभी मुझे घर पर बुला लिया करती और हम दोनों जब भी साथ होते तो एक दूसरे के साथ शारीरिक सुख का जमकर मजा लिया करते। हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगता था जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते। मैं संजना भाभी के साथ बहुत ही खुश होता था और उनकी चूत मारने में तो मुझे अलग ही मजा आता। मुझे उनकी चूत मारने की अब आदत हो चुकी थी।

 


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